जगद्गुरु श्रीरामानन्दाचार्यपीठ विश्रामद्वारिका के आचार्य श्री जगद्गुरु श्रीरामानन्दाचार्य श्रीरामप्रपन्नाचार्यजी योगीन्द्र समाधि अवस्था में मरीचि तपोभूमि का साक्षात्कार किये समाधि से जगकर सप्त ऋषियों के तपश्या से पवित्र तिर्थ का उद्धार करने के लियेनिर्णय किये । आचार्यश्री एक पहूंचे हुये साधक योगी थे जिनका सामान्य दिनचर्या में तीन तीन घण्टे तक समाधिस्थ होना सामान्य बात थी। एक वार विशेष साधना हेतु दि. २९-३-१९५९ से १२-४-१९५९ तक सुदीर्घ कालतक समाधिस्थ हुये थे यह सभी व्यक्तियों को अवगत ही है, ऐसे योगीयों के लिये जहाँ कर्तव्य निष्ठा के साथ दृढ निश्चय का सुयोग हो वहां सफलता का सुर्योदय होने में कोई विलम्व नहीं । आचार्यश्री के सत्संकल्प ने दि० २५-३-१९६१ को मूर्त रूप धारण किया जिसके परिणाम स्वरूप अहमदाबाद के पश्चिम पालडी विस्तार में जगद्गुरु श्रीरामानन्दाचार्य पीठ का उदय हुआ । वह सर्वेश्वर श्रीरामचन्द्रजी का अवतार दिन श्रीरामनवमी तिथि होने से उसी दिन श्रीसाकेतविहारीजी की प्रतिष्ठा आचार्य पीठ में एक सौ आठ श्रीरामार्चा महापुजा श्रीमद् रामायण प्रवचन श्रीराम महायज्ञ आदि सत् कार्यों के आयोजन के साथ सम्पन्न हुई।
श्रीरामानन्द सम्प्रदाय के इष्ट उपास्यदेव सर्वेश्वर श्रीसाकेतविहारीजी है । अतः इस आचार्य पीठ में श्रीसाकेतविहारीजी के प्रतिष्ठित होते ही तपोभूमी के वातावरण में विशेष बदलाव आया श्रीसीतारामजी का मंदिर अत्यन्त ही भव्य एवं चित्त आकर्षक है सम्पूर्ण गुजरात प्रदेश का यह एक सर्वजन मोहक मंदिर है । स्थान की विशालता एवं मंदिर की विशालता तथा श्रीसीतारामजी की दिव्य झाखी अनायास ही दर्शकों को मनमुग्ध कर देती है पारीवारिक या अन्य क्लेसों से उदविघ्न मानव आचार्य पीठ में आकर आंतरिक शांति का अनुभव करता है
जानिए श्री राम मंदिर के बारे में वर्तमान स्थिति और तथ्य